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Writer's pictureRoopa Rani Bussa

सदाचार किसान (बच्चों की नैतिक कहानी)

Updated: Dec 24, 2020

प्रामाणिकता जीवन का मूल है। हमें पैदाइश से हमारे माता पिता से सिखी गयी उत्तम गुणों में नैतिकता एक बहुमूल्य पाठ, ज़िंदगी भर आचरण में रखना ज़रूरी है।


एक गाँव में एक किसान रहता था, अच्छे संस्कारों से पला बड़ा मेहनत की कमाई से अपना घर चलाता था। उसके खेतों के बाज़ू में एक नाली चल रही थी!! उससे न सिर्फ उसके खेतों के लिए पानी की सरफरा होती थी बल्कि कई खेतों को पानी उपयुक्त था।


एक दिन शहर से किसान के घर एक रिश्तेदार आया। एक दो दिन किसान के साथ खेतों का चक्कर लगाया। मन ही मन में उसके दिल में कुटिल सोच पैदा हुआ!! वो अपने आप में सोचने लगा किसान को बहकाकर यह नाली का मीठा पानी प्रसंस्कृत करके शहर में पानी का धंधा कर सकता है। उससे खूब सारा पैसा कमा सकता है।


अगले दिन किसान के साथ वो भी खेतों मे गया और बोलने लगा, तुम मजबूर किसान कितने दिन तक ऐसे मेहनत कर सकता है और ऐसे ही अभागा ही रहेगा, तुझे देखकर तरस आता है। अगर तुम मानो तो मेरे पास एक उपाय है उससे तुम और मैं दोनों खूब कमा सकते है। किसान भोलेपन से उसका मनसुबा पूछा। ज़हरीला प्रारूप उसने किसान के सामने रखा - नाली का पानी रातों रात टंकी भर भर के शहर सरफरा करते है और उधर मैं प्रसंस्करण करके पानी बोतलों में भर कर बेचता हूँ। कुछ ही दिनों में तुम और मैं बहुत पैसे वाले बन सकते है। किसान बोलता है खेतों पानी कम पड़ेंगे फ़सल को धक्का लगता है, सिर्फ मेरा नहीं बल्कि सारे खेतों नाश हो जाएँगे। महीनों की मेहनत बाढ़ में जायेगी। मैं अमीर बनने के लिए दूसरों की दो वक़्त की रोटी छीनना नहीं चाहता हूँ बोलकर चला जाता है।


रात भर चिंता से किसान सो नहीं पाता है। सुबह उठकर पहले रिश्तेदार से बात करता है आप आये बहुत अच्छा लगा खुशी से पकवान खिलाते है आप भी खुशी से हमारा आतिथ्य स्वीकार कीजिए और अपने घर आनंद से लौटिए आइंदा ऐसे गाँव को नष्ट करने वाला उपाय लेकर मेरे घर कभी मत आना। मैं पैसों के लिए अपना नैतिकता खो कर चरित्र हीन नहीं बनना चाहता हूँ। भगवान की कृपा से मैं सच्चाई और मेहनत से ख़ुश हूँ बोलकर रिश्तेदार को प्रणाम करता है।


किसान का धर्माचार उसके गाँव को बचाया। कई ऐसे किसानों से कई गाँवों मे फ़सल देख सकते है उससे देश आगे बढ़ता है। कोई भूखा नहीं मरेगा। चरित्र हीन बनने के लिए हज़ार रास्ते दिखते है पर चरित्र सृष्टि केवल अपने सदाचार से ही हो सकता है।


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